Home विदेश भारत को इग्नोर करना ब्रिटेन के लिए नहीं होगा आसान, दोस्ती बढ़ाने चाहेंगे नए ब्रिटिश पीएम…

भारत को इग्नोर करना ब्रिटेन के लिए नहीं होगा आसान, दोस्ती बढ़ाने चाहेंगे नए ब्रिटिश पीएम…

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412 सीटों को जीत कर लेबर पार्टी 14 साल बाद ब्रिटेन की सत्ता पर काबिज हो गई है।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए ब्रिटिश पीएम को चुनाव में जीतकर आने के लिए बधाई दी, तो वहीं ऋषि सुनक को भी भारत और ब्रिटिश संबंधों को मजबूत करने में भूमिका निभाने के लिए धन्यवाद दिया।

14 साल से चल रही कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार भारत के साथ बहुत ही मजबूती के साथ व्यापार और अन्य समझौतों में आगे बढ़ रही थी।

जानकारों की माने तो नए प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के नेतृत्व वाली नई सरकार आर्थिक मोर्चे पर परेशानियों के बावजूद भी भारत के साथ रिश्तों के मजबूत करने के लिए बेहतर स्थिति में है।

कीर स्टार्मर भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक ऋषि सुनक की जगह लेंगे, जिनका भारत के साथ कनेक्शन किसी से छिपा हुआ नहीं है।

कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता(एफटीए) पर सहमति बनाने के लिए बहुत ही तेजी के साथ आगे बढ़ रही थी, लेकिन बाजार की पहुंच, ऑटोमोबाइल और शराब पर टैरिफ जैसे मुद्दों पर मतभेदों के कारण यह समझौता ठंडे बस्ते में चला गया।

हालांकि इस पर बातचीत जारी रही। लेबर पार्टी चुनाव के पहले अपने मैनिफेस्टो में भारत के साथ एफटीए समझौता करने के फैसले का समर्थन कर चुकी है।

कीर स्टार्मर का भारत को लेकर क्या है रवैया

2015 से ब्रिटिश संसद के सदस्य और मानवाधिकार वकील, स्टार्मर ने इंग्लैंड और वेल्स में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के निदेशक के रूप में भी काम किया है।

जानकारों की माने तो स्टार्मर भारत के साथ बेहतर संबंधों की वकालत करते आए हैं, जिससे लंदन में सरकार बदलने के बाद भी भारत के प्रति ब्रिटेन की नीतियों में, विशेष रूप से रक्षा और रणनीतिक सहयोग और व्यापार और निवेश संबंधों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है।

सूत्रों के मुताबिक, सुनक द्वारा चुनाव बुलाए जाने का फैसला लिए जाने के पहले ही लेबर पार्टी ने भारत के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश की थी। पार्टी ने अपने कुछ बड़े नेताओं जैसे डेविड लैमी और जोनाथन रेनॉल्ड्स को फरवरी में ही मंत्रियों और व्यापारिक नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए दिल्ली भेजा था।

लेबर पार्टी का भारत के साथ कनेक्शन

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो (यूरोप) शैरी मल्होत्रा ​​ने कहा, “लेबर पार्टी के तहत भारत-ब्रिटेन संबंधों की संभावनाएं अच्छी हैं क्योंकि कीर स्टार्मर के नेतृत्व में यह एक बदली हुई लेबर पार्टी है। यह अब अधिक व्यावहारिक पार्टी है।

दरअसल, अतीत में लेबर पार्टी ने किसी और ब्रिटिश राजनीतिक पार्टी की तुलना में भारत के मानवाधिकारों के उल्लंघन और कश्मीर जैसे मामलों को अधिक सख्ती के साथ उठाया है।

लेकिन अब भारतीय प्रवासियों के वोटों और भारत की सरकार के साथ मजबूत रिश्तों के लिए लेबर पार्टी ने सेंटर की तरफ झुकाव रखने वाले कीर स्टार्मर को प्राथमिकता दी है।

लेबर पार्टी ने अपने एक बड़े नेता जेरेमी कॉर्बिन को इसके लिए दरकिनार भी किया है, जिनके नेतृत्व में लेबर ने सितंबर 2019 में अपने वार्षिक सम्मेलन में कश्मीर की स्थिति पर एक आपातकालीन प्रस्ताव पारित किया था।

यह प्रस्ताव, जो अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर के स्पेशल स्टेट्स को खत्म करने के भारत सरकार के फैसले के कारण आया था,इसमें कहा गया कि क्षेत्र में मानवीय संकट है और कश्मीरी लोगों को स्वयं फैसला लेने का अधिकार देना चाहिए कि उन्हें कहा जाना है। 

उस समय भी, लेबर पार्टी ने इस कदम से शुरू हुए विवाद का जवाब देते हुए खुद को इस प्रस्ताव से अलग कर लिया था। कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला बताते हुए पार्टी ने इस पर हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था।

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