Home धर्म ‘मैं मर्दों से आकर्ष‍ित हो जाता हूं और…’, एक याचक ने पूछा सवाल, जानें क्‍यों तारीफ करने लगे प्रेमानंद महाराज

‘मैं मर्दों से आकर्ष‍ित हो जाता हूं और…’, एक याचक ने पूछा सवाल, जानें क्‍यों तारीफ करने लगे प्रेमानंद महाराज

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वृंदावन के सुप्रस‍िद्ध प्रेमानंद महाराज के दरबार में अनेकों भक्‍त, याचक अपने सवाल और अपने मन की शंकाएं लेकर आते हैं. भगवान कृष्‍ण और राधा रानी के अनन्‍य भक्‍त प्रेमानंद महाराज जी अपने आश्रम में एकांतिक वार्तालाप भी रखते हैं, जहां कई लोग अपने सवाल सीधे प्रेमानंद बाबा से पूछ पाते हैं. इस एकांतिक वार्तालाप में महाराज से म‍िलने व‍िराट कोहली, अनुष्‍का शर्मा, हेमा माल‍िनी, रवि क‍िशन समेत कई फिल्‍म और टीवी के सेलीब्र‍िटीज भी पहुंच चुके हैं. हाल ही में उनसे म‍िलने एक याचक भी पहुंचा ज‍िसने अपने मन की बातें खुलकर महाराज के सामने रखी. इस लड़के ने बताया कि कैसे उसे मर्द होते हुए भी मर्दों के प्रति आकर्षण होता है. लेकिन अब वो इस फेर से न‍िकलना चाहता है. प्रेमानंद महाराज ने न केवल इस व्‍यक्‍ति को उनके सवाल का जवाब द‍िया, बल्‍कि उनकी तारीफ भी की.

मैं अलग-अलग पुरुषों से संबंध बना चुका हूं…
इस व्‍यक्‍ति ने अपना सवाल ल‍िख‍ित में द‍िया, जि‍से प्रेमानंद महाराज के एकांतिक वार्तालाप के समय उनके एक अनुयायी ने पढ़ा. इस सवाल में पूछा गया, ‘मैं पिछले 3 महीनों से आपके प्रवचनों को सुनने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा है कि मैं पशु से भी न‍िम्‍नवत जीवन जी रहा हूं. आपके प्रवचन सुनकर जीवन बदलने की प्रेरणा म‍िलने लगी है. महाराज जी, मेरा शरीर पुरुष का होने के बाद भी अलग-अलग पुरुष शरीरों के साथ यौनाचार जैसे घृण‍ित पाप रोज-रोज करता था. अब आपके प्रवचनों से प्रेर‍ित होकर कुछ समय से खुद को ऐसे पापों से खुद को दूर रखा है. फिर भी मन बार-बार वही सब करने को करता है. वैवाह‍िक जीवन में भी तलाक की नौबत आ गई है. महाराज जी आप ही मेरी अंतिम क्षरणागति हो. कृपया मुझे इस पापाचरण से बचाने का मार्ग बताएं.’ इस व्‍यक्‍ति ने ये भी बताया कि इसने ये न‍िर्णय ल‍िया है कि हर 2 महीने तक शरीर को पव‍ित्र रखकर आपके दर्शन करने आया करूंगा. ताकि आपके दर्शन की प्रेरणा मुझे इस पाप से दूर रखे.’
आपने भरी सभा में अपनी कमी को रखा…
ये सवाल सुनते ही प्रेमानंद महाराज ने सबसे पहले इस व्‍यक्‍ति की तारीफ की. उन्‍होंने कहा, ‘पहले तो हम आपका धन्‍यवाद देते हैं कि अभी आपका इतना आत्‍मबल बचा है कि आप भरी सभा में रख रहे हैं. आप अभी आत्‍मबल से युक्‍त हैं. ऐसी बातें समाज में रखी नहीं जाती, क्‍योंकि अपनी कम‍ियों को प्रकाशित करने की ह‍िम्‍मत नहीं होती. लोग संकोच करते हैं. इससे पता चलता है कि आपके भीतर क‍िसी कोने में अभी सत्‍य का अस्‍त‍ित्‍व है.’ फिर महाराज आगे कहते हैं, ‘देख‍िए, ये आपकी गलती नहीं है. इस समय संपूर्ण सृष्‍ट‍ि में काम अपना तांडव मचाए हुए है. कई लोग इसके बारे में चुप हैं, पर तुम इसपर मुखर हो गए. लेकिन लौटकर अपने भीतर झांका जाए तो कुछ ऐसा ही है सबका जीवन. जो सामने आ जाता है, लोग उसके मुंह पर कालिख पोत देते हैं. लेकिन जो काल‍िख लगा रहे हैं उन्‍हें भी अपने भीतर झांकना चाहिए. काम कोई ऐसा नहीं जो क‍िसी को बख्‍श दे. वो उसी को छोड़ता है जो भगवान के आश्रय मानकर भजन शुरू क‍िया.’

इमानदारी से बताओ, क्‍या आजतक आपको तृप्‍त‍ि हुई?
इस लड़के को इतना समझाने के बाद प्रेमानंद महाराज कहते हैं, ‘अब तुम्‍हारे सवाल का जवाब देते हैं. ये काम होता है सुख बुद्धि के कारण. आप इमानदारी से बताओ, क्‍या आजतक आपको तृप्‍त‍ि हुई?’ इसपर वह शख्‍स कहता है, ‘नहीं.’ इसपर वह आगे कहते हैं, ‘नहीं हुई न, इसका मतलब आज भी वही चाह है, जो शुरू से थी. इसका अर्थ ये है कि वहां सुख है ही नहीं. जब आपने खुलकर प्रश्‍न पूछा है तो मैं आपको उसी आधार पर जवाब देता हूं. इस शरीर में है क्‍या, मल और मूत्र के ही तो द्वार हैं. चाहे क‍ितना सुगंध‍ित पेय पीयो, ज‍ितना ही सुगंध‍ित और स्‍वाद‍िष्‍ट खाना खाओ, 6 घंटे बाद वह मल और मूत्र में पर‍िवर्त‍ित हो जाता है. उसके सेवन का केवल एक ही मार्ग बताया गया है कि संतानोत्‍पत्ति, जो भगवान की सृष्‍ट‍ि का क्रम है, उसकी पूर्ती के लि‍ए काम का आदर क‍िया गया है. भगवान ने कहा ‘धर्मयुक्‍त काम मैं हूं.’ यानी संयम के द्वारा संतानोतपत्त‍ि के लि‍ए, पाण‍िग्रहण संस्‍कार के बाद क‍िया गया काम ही धर्म का मार्ग है. इतने के ल‍िए ही काम का आदर है.’

प्रेमानंद महाराज आगे इसे व्‍यक्‍ति को समझाते हैं कि कैसे वह इस आचरण से अपने इस जन्‍म को खराब कर रहा है. साथ ही उस स्‍त्री के दुख का भी कारण है, ज‍िसे उसने पत्‍नी चुना है. हालांकि आगे उन्‍होंने समझाया कि तुम इसे समझ गए हो तो इससे आगे तुम्‍हें न‍िकलना चाहिए.
 

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