अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है।
मंदिर भी रामभक्तों के लिए खुल चुका है। सोमवार को हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह में खुद पीएम मोदी भी मौजूद रहे और पूजा-अर्चना की।
राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की जो मूर्ति लगी है, वह योगीराज ने बनाई है।
नई मूर्ति के सामने ही पुरानी रामलला की भी मूर्ति स्थापित की गई है, जिससे रामभक्त एक साथ दोनों के दर्शन कर सकें। नई रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज कर्नाटक के रहने वाले हैं और वे पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं।
उन्होंने बताया कि जब वह रामलला की मूर्ति बनाते थे, तब रोजाना एक बंदर वहां आ जाता था। इस पर जब अरुण योगीराज से कहा गय कि शायद हनुमान जी मूर्ति को देखने आते होंगे, तो उन्होंने हां में जवाब दिया।
‘आजतक’ से बात करते हुए अरुण योगीराज ने बताया कि उन्हें मूर्ति बनाने में सात महीने का समय लगा। उन्होंने खुद को काफी भाग्यशाली बताते हुए कहा कि भगवान ने कहा था कि आओ और मेरा काम करो।
राम मंदिर ट्रस्ट ने योगीराज को रामलला की मूर्ति बनाने के लिए चार चीजें कही थीं। मुस्कुराता हुआ चेहरा, पांच साल के बच्चे जैसा स्वरूप, युवराज जैसा चेहरा और दिव्य दृष्टि।
अरुण योगीराज का कहना है कि जब वे रामलला की मूर्ति बनाते थे, तब उस समय रोजाना शाम पांच बजे के करीब एक बंदर आ जाता था।
वहीं, जब ठंड बढ़ने लगी तो उन्होंने उस जगह को पर्दे से ढक दिया, लेकिन इसके बाद भी बंदर ने वहां आना नहीं छोड़ा। इसके बाद वह बाहर आता और अंदर आने के लिए खटखटाने लगता।
इस पर जब योगीराज से कहा गया कि शायद हनुमानजी दर्शन करते होंगे कि कैसे प्रभु राम जी आकार ले रहे हैं, तो अरुण योगीराज ने हां में जवाब दिया।
अरुण ने इस बंदर के बारे में जानकारी राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय को भी दी थी।
अरुण ने कहा कि मैं अलग तरीके से किसी भी मूर्ति की दस आंखें बना सकता हूं। जब मैंने आंख बनाई तो अपने दोस्तों से पूछा कि कैसी बनी है, जिसपर उन्होंने तारीफ की।
‘हनुमानजी रामलला के दर्शन करने आए हों’
वहीं, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम मंदिर ट्रस्ट ने एक पोस्ट के जरिए से जानकारी दी थी कि एक बंदर गर्भगृह में प्रवेश करके रामलला की मूर्ति तक पहुंच गया।
इस पर वहां तैनात सभी सुरक्षाकर्मी भी हैरान रह गए थे। उन्होंने कहा कि यह वैसा ही है, जैसे मानो स्वयं हनुमानजी रामलला के दर्शन करने आए हों। ट्रस्ट ने एक्स पर पोस्ट किया था, ”सायंकाल लगभग 5:50 बजे एक बंदर दक्षिणी द्वार से गूढ़ मंडप से होते हुए गर्भगृह में प्रवेश करके उत्सव मूर्ति के पास तक पहुंचा। बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने देखा, वे बन्दर की ओर यह सोच कर भागे कि कहीं यह बन्दर उत्सव मूर्ति को जमीन पर न गिरा दे। परन्तु जैसे ही पुलिसकर्मी बंदर की ओर दौड़े, वैसे ही बंदर शांतभाव से भागते हुए उत्तरी द्वार की ओर गया। द्वार बंद होने के कारण पूर्व दिशा की ओर बढ़ा और दर्शनार्थियों के बीच में से होता हुआ, बिना किसी को कष्ट पहुंचाए पूर्वी द्वार से बाहर निकल गया। सुरक्षाकर्मी कहते हैं कि ये हमारे लिए ऐसा ही है, मानो स्वयं हनुमान जी रामलला के दर्शन करने आये हों।”