प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इस साल पहली बार अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित किया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि दो दिन पहले हम सभी देशवासियों ने 75वां गणतंत्र दिवस बहुत धूमधाम से मनाया है।
उन्होंने कहा, ‘इस साल हमारे संविधान के भी 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के भी 75 वर्ष हो रहे हैं। हमारे लोकतंत्र का ये पर्व मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत को और सशक्त बनाते हैं।’
2024 के पहले मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर ने देश के करोड़ों लोगों को मानो एक सूत्र में बांध दिया। सबकी भावना एक, सबकी भक्ति एक, सबकी बातों में राम… देश के अनेक लोगों ने इस दौरान राम भजन गाकर उन्हें श्रीराम के चरणों में समर्पित किया। 22 जनवरी की शाम को पूरे देश ने रामज्योति जलाई, दिवाली मनाई।’
26 जनवरी की परेड बहुत ही अद्भुत रही: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि इस बार 26 जनवरी की परेड बहुत ही अद्भुत रही, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा परेड में महिला शक्ति को देखकर हुई।
जब कर्त्तव्य पथ पर केंद्रीय सुरक्षा बलों और दिल्ली पुलिस की महिला टुकड़ियों ने कदमताल शुरू किया, तो सभी गर्व से भर उठे। उन्होंने कहा, ‘इस बार 13 महिला एथलीट्स को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
इन महिला एथलीट्स ने अनेकों बड़े टूर्नामेंट्स में हिस्सा लिया और भारत का परचम लहराया। बदलते हुए भारत में हर क्षेत्र में हमारी बेटियां, देश की महिलाएं कमाल करके दिखा रही हैं।’
‘जमीन से जुड़कर बड़े-बड़े बदलाव लाने वालों का सम्मान’
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, ‘तीन दिन पहले देश ने पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया है जिसमें ऐसे लोगों को पद्म सम्मान दिया जा रहा है जिन्होंने जमीन से जुड़कर समाज में बड़े-बड़े बदलाव लाने का काम किया है।
मीडिया से दूर ये लोग बिना किसी लाइमलाइट के समाज सेवा में जुटे थे। मुझे खुशी है कि पद्म सम्मान घोषित होने के बाद ऐसे लोगों की हर तरफ चर्चा हो रही है।’
PM मोदी ने पद्म सम्मान पाने वालों को किया याद
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस बार छत्तीसगढ़ के हेमचंद मांझी को भी पद्म सम्मान मिला है। वैद्यराज हेमचंद मांझी भी आयुष चिकित्सा पद्धति की मदद से लोगों का इलाज करते हैं।
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में गरीब मरीजों की सेवा करते हुए उन्हें 5 दशक से ज्यादा का समय हो रहा है। वहीं, सुश्री यानुंग अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली हैं और हर्बल औषधीय विशेषज्ञ हैं।
इन्होंने आदि जनजाति की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को पुनर्जीवित करने के लिए काफी काम किया है। इस योगदान के लिए उन्हें इस बार पद्म सम्मान भी दिया गया है।’