Home राज्य ट्रांसफर-पोस्टिंग में गड़बड़ी, दिल्ली में बिना इंटरव्यू के दो इंस्पेक्टर बने SHO

ट्रांसफर-पोस्टिंग में गड़बड़ी, दिल्ली में बिना इंटरव्यू के दो इंस्पेक्टर बने SHO

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दिल्ली पुलिस में कल 75 इंस्पेक्टर्स के तबादले हुए। जिसके चलते कई थानों के SHO इधर से उधर हो गए। जबकि कुछ इंस्पेक्टर्स को पहली बार SHO की कमान मिली। मगर खुद दिल्ली पुलिस के कई इंस्पेक्टर्स इस लिस्ट को लेकर बड़ी धांधली के आरोप लगा रहे हैं। आरोपों के पीछे वाजिब कारण भी है। क्योंकि दिल्ली पुलिस के तमाम नियमों को ताक पर रखकर यह लिस्ट निकाली गई है। दरअसल दावा किया जा रहा है कि इस लिस्ट में दो इंस्पेक्टर ऐसे हैं, जिन्हें बिना इंटरव्यू लिए ही  SHO बना दिया गया। यही नहीं दो  ACP को फिर से  SHO की कमान सौंपी गई है। वहीं ऐसे कई इंस्पेक्टर  SHO लगे हैं, जिनके  SHO लगे रहने के तीन साल लगभग पूरे हो चुके हैं। ऐसे में सवाल यह है क्या कुछ ही महीनों में उन्हें  SHO के पद से हटा दिया जाएगा।

दो इंस्पेक्टर बिना इंटरव्यू के बन गए SHO
पुलिस सूत्र ने बताया, इस लिस्ट में 2008 बैच के दो इंस्पेक्टर ऐसे हैं, जो बिना इंटरव्यू के  SHO बना गए हैं। मजे की बात यह है कि एक इंस्पेक्टर तो इनमें एलए (लुक आफटर) चार्ज के हैं, यानि अभी वो सिर्फ सब इंस्पेक्टर ही है, सिर्फ उन्हें काम करने के लिए इंस्पेक्टर का चार्ज दिया गया है। यह इंस्पेक्टर, SHO साइबर नॉर्थ-वेस्ट डिस्ट्रिक्ट थे। जिन्हें अब  SHO तिलक मार्ग लगा दिया गया है। दूसरे इंस्पेक्टर भी 2008 बैच के ही हैं। यह  SHO साइबर आउटर डिस्ट्रिक्ट थे। इन्हें अब  SHO समयपुर बादली लगाया गया है। इन दोनों की SHO पोस्टिंग से 2008 बैच के इंस्पेक्टर्स में खलबली मच गई है। क्योंकि इस बैच के किसी भी इंस्पेक्टर को इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया था। ज्यादा हैरत इंस्पेक्टर एलए को एसएचओ लगाए जाने से है।

SHO साइबर की पोस्टिंग भी थी नियमों के खिलाफ
सूत्र ने बताया, दोनों इंस्पेक्टर की SHO साइबर की पोस्टिंग भी नियमों के खिलाफ थी। क्योंकि साइबर में ज्यादातर केस IT-ACT के तहत दर्ज किए जाते हैं। जबकि नियम यह है कि IT-ACT के केस में आईओ इंस्पेक्टर ही होगा। वहीं इस लिस्ट में ऐसे कई इंस्पेक्टर हैं, जो  SHO रहने के अपने तीन साल लगभर पूरे कर चुके हैं। कोई ढाई साल तक  SHO रह चुका है, जबकि कुछ के तीन साले पूरे में होने में सिर्फ एक महीना ही शेष है। दावा है कि पहले भी धांधली होती थी। मगर इस तरह नियम तोड़कर खुलकर कुछ नहीं किया जाता था। सब कुछ दायरे में रहकर किया जाता था।

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