भारत और अमेरिका के बीच एक बहुत बड़ा ड्रोन खरीद समझौता हो चुका है।
लेकिन इस खरीद को मंजूरी देने में अमेरिका ने काफी वक्त लगाया। इसकी वजह खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को बताया जा रहा है।
अमेरिका ने बृहस्पतिवार को 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर भारत को 31 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी।
इससे समुद्री मार्गों में मानवरहित निगरानी और टोही गश्त के जरिए वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता को बढ़ेगी।
इस ड्रोन सौदे की घोषणा जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी। लेकिन इस बीच पन्नू की कथित हत्या की साजिश का मामला सामने आ गया।
इसके बाद अमेरिका के प्रभावशाली सांसद बेन कार्डिन ने इस डील में अड़ंगा लगा दिया। हालांकि अब उन्होंने अपनी आपत्ति वापस ले ली है।
सांसद बेन कार्डिन ने कहा है कि उन्होंने देश के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के साथ महीनों तक चली लंबी वार्ता के बाद भारत के साथ 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर के ड्रोन सौदे को लेकर अपनी आपत्ति वापस ली।
उन्होंने कहा कि बाइडेन प्रशासन ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत अमेरिकी जमीन पर एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या की कथित साजिश की जांच करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस आश्वासन के बाद विदेश संबंध मामलों की सीनेट की प्रभावशाली समिति के अध्यक्ष सीनेटर बेन कार्डिन ने सौदे को लेकर अपनी आपत्तियां वापस ले लीं।
डेमोक्रेटिक नेता कार्डिन ने एक बयान में कहा कि उन्होंने सौदे को तभी मंजूरी दी जब बाइडेन प्रशासन ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत सरकार अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में भारत के कथित संबंधों की समग्र जांच करने के लिए और अमेरिकी न्याय विभाग की जांच में पूरा सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।