श्राद्ध पक्ष शुरू हो गये हैं और यह 02 अक्टूबर 2024 तक चलेंगे। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण आदि के कार्य किए जाते हैं। साथ ही पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म किया जाता है। जिस तिथि को पितर स्वर्गलोक गए थे, उस तिथि को ही ब्राह्राण भोग कराया जाता है। साथ ही दान- दक्षिणा दी जाती है।
पितृ पक्ष का महत्व
मान्यता है पितृपक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और हम उनके निमित्त क्या कर रहे हैं। ये सब वह देखते हैं। आपको बता दें कि पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को मुक्ति मिलने के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं श्रद्धा के साथ श्राद्ध के कार्य करें इसलिए ही इसे श्राद्ध कहते हैं। जिस भी श्राद्ध कार्य करते हैं उस दिन ब्राह्मण को भोजन कराने का विधान है। साथ ही जिस दिन आपके पूर्वज का श्राद्ध होता है, उस दिन गाय, कुत्ता कौवा और चींटी को भी आहार दिया जाता है। वहीं इसे पंच ग्रास या पंच बली कहते हैं। साथ ही जिन लोगों की जन्मकुंडली में पितृदोष है, उन लोगों को पंचबली जरूर निकालनी चाहिए।
पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है तर्पण
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