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अयोध्या। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अयोध्या से गो-प्रतिष्ठा आंदोलन की शुरुआत की। शंकराचार्य ने सबसे पहले रामकोट की परिक्रमा की। फिर जानकीघाट पर चारूशिला मंदिर में गो-ध्वज स्थापित किया। लेकिन, राम मंदिर में रामलला का दर्शन करने नहीं गए। उन्होंने कहा कि हमने प्रण लिया है कि जब तक राम मंदिर निर्माण पूरा नहीं हो जाता, तब तक मैं दर्शन नहीं करूंगा। मंदिर के पूर्ण निर्माण के बाद राष्ट्रमाता (गाय) के दूध से भरा कटोरा लेकर रामलला के दर्शन करने जाएंगे। शंकराचार्य ने कहा कि अभी मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। मंदिर जाने से पहले सबसे पहले ध्वज का दर्शन करना होता है। अभी ध्वज दर्शन के लिए उपलब्ध नहीं है। कलश दर्शन के लिए उपलब्ध नहीं है। वहां जाकर क्या दर्शन करेंगे? जो दर्शन कर रहे हैं, वह श्रद्धालु हैं, हम जिम्मेदार व्यक्ति हैं।