पाकिस्तान अकसर भारत विभाजन से पूर्व के इतिहास को नकारता रहा है, जो साझी संस्कृति रही है।
वहीं पाकिस्तान में ही एक वर्ग ऐसा है, जो भगत सिंह, महाराजा रणजीत सिंह जैसे नायकों को सम्मान देने की मांग करता रहा है।
इस बीच बुधवार को लाहौर हाई कोर्ट में सुखदेव की जयंती मनाई गई, जिन्हें भगत सिंह और राजगुरु के साथ ही लाहौर की जेल में फांसी दी गई थी।
यह कार्यक्रम लाहौर हाई कोर्ट के कुछ वकीलों ने आयोजित किया था, जिसमें सुखदेव को याद किया गया।
इस दौरान वकीलों ने पाकिस्तान सरकार से मांग की गई कि सुखदेव को स्कूली किताबों का हिस्सा होना चाहिए। उन्हें राष्ट्रीय नायक घोषित करना चाहिए।
ये सभी वकील भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन से जुड़े हैं, जिसका गठन शहीदों की याद में किया गया था।
वकील बुधवार को सुखदेव की 117वीं जयंती के मौके पर लाहौर हाई कोर्ट के परिसर में जुटे और केक काटकर सुखदेव की जयंती मनाई गई। इस दौरान कुछ वकीलों ने भाषण भी दिए, जिनमें सुखदेव को याद किया गया।
इस मौके पर एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें मांग हुई कि सुखदेव के नाम पर लाहौर में एक सड़क बननी चाहिए। इसके अलावा सुखदेव के नाम पर डाक टिकट और स्कूली किताबों में उन पर एक चैप्टर शामिल करने की भी मांग हुई।
सुखदेव का जन्म 15 मई, 1907 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था। भगत सिंह फाउंडेशन के चेयरमैन इम्तियाज रशीद कुरैशी ने कहा कि हम लोग इन सभी स्वतंत्रता सेनानियों की जयंती और पुण्यतिथि को मनाते हैं।
हमारी तो पाकिस्तान सरकार से मांग है कि इन लोगों के बलिदानों को समझा जाए और उन्हें राष्ट्रीय नायक घोषित करें। बता दें कि 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर में फांसी दी गई थी।
आज भी भगत सिंह के नाम पर लाहौर में स्मारक है। भगत सिंह को पहले उम्रकैद की सजा मिली थी, लेकिन फिर साजिश के तहत उसे फांसी में बदल दिया गया था।
भगत सिंह का सम्मान भारत में ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में किया जाता है। भगत सिंह फाउंडेशन ने सीधे पीएम शहबाज शरीफ से मांग की कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को राष्ट्रीय नायक घोषित किया जाए।
फाउंडेशन ने कहा कि भगत सिंह को देश का सर्वोच्च सम्मान मिलना चाहिए। इसके अलावा लाहौर के शादमान चौक का नाम उन पर होना चाहिए।