लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के ठीक बीच राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने बुधवार को पश्चिम बंगाल और पंजाब की सरकारों से अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के लिए कोटा बढ़ाने का सुझाव दिया है।
एनबीसी ने कहा है कि दोनों ही राज्यों ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की 50% सीमा के तहत उपलब्ध जगह का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया है।
दोनों ही राज्यों से कहा है कि ओबीसी की हिस्सेदारी बढ़ाकर इस कमी को पूरा करें।
पश्चिम बंगाल में सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में एससी/एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 45 प्रतिशत है। इसके अलावा पंजाब में सरकारी नौकरी में 37 प्रतिशत और शिक्षा के क्षेत्र में 35 प्रतिशत है।
आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि दोनों राज्य ओबीसी के लिए आरक्षण में देरी किए बिना बढ़ोतरी करें। उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित 50% सीमा के तहत आरक्षण देने की सिफारिश की है।
एनसीबीसी की सिफारिश के मुताबिक, पश्चिम बंगाल सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी के लिए कोटा 5% बढ़ा दे।
पंजाब में सरकारी नौकरी में 13 प्रतिशत और शैक्षणिक संस्थानों में 15% की वृद्धि का सुझाव दिया है।
एनसीबीसी की सिफारिशों पर इंडिया गठबंधन ने आरोप लगाया है कि बीजेपी 400 सीटें मांग रही है ताकि वह संविधान में संशोधन करके कोटा खत्म कर सके।
भाजपा ने कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को समग्र रूप से पिछड़ा घोषित करके ओबीसी के लिए कोटा में कटौती करने के कांग्रेस के कदमों का हवाला देते हुए पलटवार किया है।
एनसीबीसी के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने टीओआई को बताया कि वह काफी समय से दोनों राज्यों के साथ इस मुद्दे को उठा रहे हैं लेकिन उन्होंने अभी तक इसका अनुपालन नहीं किया है। उन्होंने कहा, “हमने ओबीसी को बचा हुआ कोटा प्रदान करने के लिए उन्हें फिर से लिखा है।”
एनसीबीसी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए कोटा क्रमशः 22%, 6% और 17% था, जो बढ़कर 45% हो गया।
पंजाब के मामले में सरकारी रोजगार के लिए एससी और ओबीसी के लिए कोटा क्रमशः 25% और 12% था। एनसीबीसी ने कहा कि पंजाब सरकार के अधिकारी फरवरी में आयोग के सामने पेश हुए थे और बताया था कि ओबीसी कोटा बढ़ाने का निर्णय अंतिम चरण में है और वे जल्द से जल्द इसका अनुपालन करेंगे। हालांकि, अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है।