नई दिल्ली। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) ने चेतावनी दी है कि भारत में टैक्स सिस्टम की जटिलताएं ग्लोबल एयरलाइन्स को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर सकती हैं। आईएटीए की स्थापना 1945 में कुछ एयरलाइन कंपनियों ने की थी। आज दुनियाभर की 300 से अधिक एयरलाइन कंपनियां इसकी मेंबर हैं।
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने कुछ साल पहले भारत की टैक्स व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि भारत में टैक्स की दरें दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद सरकार ने अपनी ईवी पॉलिसी में बदलाव करके टेस्ला के भारत आने का रास्ता साफ कर दिया था। कंपनी ने अब तक भारत में एंट्री नहीं की है। इस बीच विदेशी एयरलाइन कंपनियों ने भी अब भारत की टैक्स व्यवस्था पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। उनका कहना है कि भारत का टैक्स सिस्टम बहुत जटिल है और अगर स्थिति नहीं सुधरी तो उन्हें भारत को हमेशा के लिए अलविदा कहना पड़ेगा। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एविएशन मार्केट है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएटीए के डायरेक्टर जनरल विली वॉल्श ने कहा कि भारत में टैक्स से जुड़ी कई समस्याएं हैं। जिनके कारण विदेशी एयरलाइन कंपनियां भारत छोड़ सकती हैं। इनमें टैक्स नियमों की जटिलाएं, बहुत ज्यादा टैक्स और डबल टैक्सेशन का जोखिम है। ये ऐसे इश्यू हैं जिनसे विदेशी एयरलाइन कंपनियां बचना चाहती हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर में डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीसीआई) कई विदेशी एयरलाइन कंपनियों के ऑफिसेज पर छापा मारा था। यह मामला टैक्स की चोरी से जुड़ा था।
इसी साल डीजीसीआई ने थाई एयरवेज, सिंगापुर एयरलाइन्स, लुफ्तहांसा और ब्रिटिश एयरवेज के भारतीय कर्मचारियों को समन भेजा था। इन एयरलाइन कंपनियों पर जीएसटी का भुगतान नहीं करने का आरोप था। एजेंसी के मुताबिक विदेशी एयरलाइन कंपनियों को भारत में एयरक्राफ्ट मेंटनेंस और रेंटल तथा क्रू की सैलरी पर जीएसटी देना होगा।
डीजीसीए के 2022-23 के आंकड़ों के मुताबिक भारत के इंटरनेशनल एयर ट्रैफिक में विदेशी एयरलाइन्स की हिस्सेदारी 56 फीसदी है जबकि भारतीय कंपनियों का हिस्सा 44 फीसदी है। विदेशी कंपनियों में सबसे ज्यादा 10 फीसदी हिस्सेदारी एमिरेट्स की है। इसके बाद सिंगापुर एयरलाइन्स, एतिहाद, कतर एयरवेज, लुफ्तहांसा और एयर अरेबिया का नंबर है। वॉल्श ने कहा कि अगर किसी एयरलाइन को किसी देश से पैसा मिलना बंद हो जाए तो वह वहां ऑपरेट क्यों करेगी?
भारत में टैक्स सिस्टम की जटिलताएं ग्लोबल एयरलाइन्स देश छोड़ने को मजबूर!
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