बीईओ और एबीईओ की नियुक्ति कब ?

भोपालपटनम । विकास खंड में खंड शिक्षाधिकारी एवं सहायक खंड शिक्षाधिकारी का पद रिक्त है. जिन सहायक खंड शिक्षाधिकारी को खंड शिक्षाधिकारी का प्रभार सौपा गया है. उनका तबादला भी अन्यत्र जिले में हो गया है. मंडल संयोजक बीमारी से ग्रस्त हैं. उनका ईलाज पर प्रांत में चल रहा है. इन पदो पर अभी तक किसी को पदस्थ नहीं किया गया जिसके कारण शैक्षणिक गुणवत्ता और आश्रमो शाला प्रभावित हो रहा है. वैसे तो खंड शिक्षाधिकारी पद के लिए कुछ शिक्षकों के महिला शिक्षक भी दौड़ में है. संविधान में पुरुष और महिला को समानता का अधिकार दिया है तो महिला बीईओ क्यों नहीं बन सकती? प्रशासन को भी शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए किसी योग्य शिक्षक को खंड शिक्षाधिकारी के पद पर बैठाया जाना चाहिए. इस पद पर योग्यता को परे रखकर योग्य को महत्व देना चाहिए. अन्यथा ” गोबर गणेश ” का क्या औचित्य?
खंड शिक्षाधिकारी बी.एस. नागेश 31/08/22 को सेवानिवृत्त हुए लगभग अढ़ाई माह हो चुका है. उनके जगह पर सहायक खंड शिक्षाधिकारी कमलेश ध्रुव को खंड शिक्षाधिकारी का प्रभार दिया गया. लेकिन उनका तबादला कांकेर जिले में हुए ढेड़ माह हुआ है. सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि कांकेर में ज्वाइन कर लिया है.विकास खंड में एबीईओ और बीईओ जैसे महत्वपूर्ण पद पर आज तक किसी को पदस्थ नहीं किया गया ।
लगभग दो माह से इन दोनों पदो पर नियुक्त या प्रभार नहीं दिया जाना,समझ से परे है?जिससे शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है. शिक्षको के कार्य खंड शिक्षाधिकारी नहीं होने से कार्यालय में लंबित है.शिक्षको पर किसी का डर नहीं. मंडल संयोजक विजय गोगुल भी बीमारी से ग्रस्त हैं . उनका ईलाज पर प्रांत में चल रहा है. जिसके कारण आश्रम शाला प्रभावित हो रही है. शैक्षणिक गुणवत्ता लाने और आश्रम शालाओ को सुचारू रुप से संचालित करने के लिए एबीईओ ,बीईओ तथा मंडल संयोजक आदि पदो पर नियुक्त किया जाए या प्रभार दिया जाना चाहिए. शैक्षणिक सत्र का आधा वर्ष बीत चुका है ।
खंड शिक्षाधिकारी, एबीईओ और मंडल संयोजक पद पर नियुक्त करने से पहले इनका साक्षात्कार किया जाना चाहिए. भले ही कुछ लोग योग्यता रखते हो? लेकिन वह इस पद के योग्य ना हो? शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए किसी योग्य शिक्षक को इस पद बैठाया जाए. जिससे कि शिक्षकों में डर, शैक्षणिक गुणवत्ता आ सके ?
महिला बीईओ, क्यो नही?
हांलाकि खंड शिक्षाधिकारी के पद के लिए वरिष्ठ व्याख्याता दौड़ में है जिनमें कुछ पुरुष और महिला भी है. लेकिन इस बार किसी महिला व्याख्याता को खंड शिक्षाधिकारी का दायित्व सौंपा जाना चाहिए. जब महिलाएँ पायलट, बस और रेल चालक बन सकती है .प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कलेक्टर आदि महत्वपूर्ण संवैधानिक पद बैठ कर सुचारू रुप से अपने दायित्व का संचालन कर सकती है तो बीईओ का कार्य क्यों नहीं कर सकती? इस पद पर अगर महिला को पदस्थ किया जाता है तो शिक्षको मेंखौफ होगा. साथ ही इस क्षेत्र के होने के कारण इस क्षेत्र की भौगोलिक, संस्कृति, भाषा से चिरपरिचित है. जो अपना दायित्व बखूबी निभा सकती है ।
इन महत्वपूर्ण पदो पर राजनीति से परे हटकर कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी से सेवा देने वाले योग्य शिक्षक या शिक्षिका को दायित्व सौंपा जाना चाहिए. दार्शनिक के अनुसार ” शिक्षा में राजनीति नहीं, राजनीति में शिक्षा अनिवार्य है ।